Wednesday, January 8, 2020

Azadi Har Koi Mange


                             आज़ादी

क्या है आज़ादी  और क्यों को आय दिन मांगते रहे ते है ... क्या मतलब है आज़ादी का का और क्यो हमें  आजादी  और किस  से चाहिए आजादी। आजादी एक ऐसा शब्द जो आये दिन कभी न कभी हमने किसी न किसी विपक्षी या लेफ्ट पार्टी के नेताओं या उनके द्वारा प्रायोजित आंदोलन या धरनो में सबसे अधिक बार यूज़  होता हैं... हर पार्टी को बस आज़ादी  चाहिए की वो अपने हिसाब से देश में सब कुछ कर सके जो उसके मन में हो वो वो कर सके ,, देश  की सरकार उसके खिलाफ कुछ ना  बोले और न कुछ करे। . इसलिए आये दिन सबको आज़ादी  चाहिए। .. जबकि इसके उल्टा जब उनकी सरकार हो तो उनको ये सब बहुत ही बुरा लगता था अगर कोई सरकार कर काम में ऊँगली करे या उसमे कुछ बोले...

आज़ादी क्यों : बोलने को एक छोटा शब्द लेकिन मतलब बहुत बड़ा अगर इसको बोले के मांगने वालो को इसका मतलब  पता होता तो शायद वो ऐसे नहीं बोलते जैसे वो चीख के बोलते है आज़ादी। .. सबसे बड़ी बात की देश अब  गुलाम नहीं है  जो आपको किसी से आज़ादी मांगने की नौबत आये। . और अगर कोई चीज या कोई बात आपको अच्छी नहीं लगती है वो उसको विरोध  करो।  के ये आये दिन आज़ादी  आज़ादी  बोले के  फालतू की नौटंकी करते हो..किसे से आपको आज़ादी  चाहिए जब से बीजेपी सरकार  तव से सबको आज़ादी  चाहिए उससे पिछली सरकर ने क्या देश का नाम बहुत उच्चा किया था क्या जो आज़ादी नहीं मांगते थे.

प्रोयोजित आंदोलन : देश में कभी न कभी आंदोलन होते रहे है और होते भी रहेंगे लेकिन वो सब  एक मुद्दे पर होते थे.. लेकिन आज के टाइम आंदोलन भी फिक्स्ड होते हैं।  की अभी हमको ये करना इसके बाद हम आंदोलन करंगे इसे हमने मीडिआ में बहुत ज्यादा फोकस और नाम मिले , ताकि जो हम करना चाहते है उसको सुनयोजित  तरीके से देश के हर कोने तक जा सके.. हर सबको एक ही राटा रटाया बोल आज़ादी  देश के प्रधानमंत्री से देश के होम मिनीस्टर  से आज़ादी  चाहिए अरे भाई उनको इस देश की जनता ने वोट देके बेजा हैं कोई पैसे देकर या जबरदस्ती नहीं बैठाया हैं.. और उन्होंने क्या गलत कर दिया जो उनको हर बात पे आके सफाई देनी पड़े जैसे देश का प्रधानमंती न हो गली मोहले का सभासद हो.. की मेरी गली नहीं बनी इसका प्रधानमत्री जी जवाब दे. की मेरे घर आज खाना नहीं बना होम मिनिस्टर इस्तीफा दे. ऐसा  कैसे हो सकता हैं.


गांधीवादी ढोंग : सब अपने आपको गाँधी  जी के मार्ग पे चलने वाला बोलते है तो फिर आये दिन ये मार पिट और हिंसा की जाती है, गाँधी जी ने विरोध किया हर उस निति का जो उन्हें सही नहीं लगी लेकिन कभी हिंसा का मार्ग नहीं चुना। .गाँधी जी मानते सब है लेकीन  कोई उनकी रहा पे चलने को तैयार नहीं है.

Monday, January 6, 2020

Tik Tok Wala India

टिक टॉक वाला इंडिया 

आज का इंडिया बहुत ही तेजी से टिक टॉक की और अग्रसर हो रहा हैं। जैसे जो टिक टोक पे नहीं हो वो इस दुनिया का है ही नहीं। अपने आप को  वो बहुत ही ज्यादा बुदिमान और तेज समझता है.. देश का युवा अपनी देसी संस्कृति को भूल के अपने लिए एक नहीं दिशा की और अगसर हो रहा हैं। जो की अपने आप और इस देश को एक अलग ही मार्ग की और ले जा रहा हैं। युवा कहने को एक ऐसा शब्द जो किसी भी देश की आने वाली तररकी और उस देश को किस दिशा में जाना ये सब तय करता हैंऔर हमारे देश का युवा आज अपनी संस्कृति और अपने देश के इतिहास को भूल कर टिक टॉक को और बड़ी तेजी से अगसर हो रह है।।
मानो टिक टॉक से ही आने वाला कल की पहचान होगी। 


टिक टॉक के प्रभाव : टिक टॉक एक ऐसी लत है जिसके लगने का करना आप सुब कुछ भूल के दिन रात बस टिक टॉक में ही लगे रहते है। जह भी जाते है बस टिक टॉक बनने में लग जाते है क्योकि आपको टिक टोक में फेमस जो होना अगर टिक टॉक में फेमस नहीं हुए तो कोई आपनो जानेगा भी नहीं।।।  दिन रात रोड में रेल लाइन पे पार्क में घर में भर सुब जगह टिक टॉक ही टिक टोक लगा हुआ आजकल असला में ये कोई नहीं जानत की ये सुब हमारे देश में एक पोरजेक्ट प्रोपगंडा के तहत होता है।


देश की विरासत को भूलता युवा : जिसे देखो वो अपने देश की विरासत को भूलने में लगा हैं। आज कल के युवा सुबह उठ के पूजा पाट की जगह  अपना टिक टॉक वीडियो और व्हाट्सअप पे स्टॅट्स लगन ज्यादा पसंद करते हैं। जो की हम और हमरे देश की युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही बुरा है ऐसी बिलकुल भी है होना चाहिए इस देश में लेकिन माता पिता अपने परिवार पे ज्यादा ध्यान न देना और बच्चो को संस्कार न देना  ये दोनों चीज ज्यादा घातक है हमरे देश और देश की संस्कृति के लिए।

युवाओं को सन्देश : देश को युवा को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए।  उनको अधिक से अधिक प्यार देना चाहिए क्योकि माँ बाप दोनों हम बच्चो को  इतना प्यार और अच्छे से अच्छा खाने को उपलब्ध करवाते हैं। उन दोनों की जगह इस दुनिया में कोई भी नहीं ले सकता हैं।  वेद में भी माँ बाप को उच्च दर्जा दिया है..

श्लोक-
पद्मपुराण सृष्टिखंड (47/11) में कहा गया है-

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।


अर्थात: माता सर्वतीर्थ मयी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं इसलिए सभी प्रकार से यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए। जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।

अंतत: हम और हमारे देश को युवाओ को टिक टॉक और इन जैसे और एप्लीकेशन का त्याग कर भारत और उसके संस्कृति के अनुरूप चलना किये क्योकि हमारे देश और हमारी पहचान हमारे देश की संस्कृति है जो प्रत्येक मानव को जीवन जीने के आधार और उसके मूल भूत कर्तव्ये से उसका परिचय करवाती हैं.

भारत की छवि उसके संस्कृति और विषमताओ के लिए जनि जाती है... लेकिन आने वाली पीढ़ी इसको लेकर बलुकल भी चिंतित नहीं की देश की किया विरासत है और हमने अपनी संस्कृति की चिंता करनी चाहिए जो दिन बा दिन विलुप्त हो रही है.


आज शायद किसी घर में बच्चो को वेद पुराण पड़ने के लिए बोला जाता हूँ इस प्रकार शायद किसी घर में रामायण गीता या कोई धारावाहिक कार्येकर्म देखा जाता हो., हम लोग खुद अपने बच्चो को संस्कार देना नहीं ही होता है और उम्मीद करते है की बड़े होकर हमारा ध्यान रखेंगे और हमारी सेवा करंगे। .. परन्तु हम ये भूल जाते है की जैसे हम बच्चो को संस्कार देंगे तब ही वो हमारा ध्यान देंगे। .. ये हमारा ही काम हैं की हैं की हम बच्चो को उनको मूल भूत सामाजिक कर्तव्ये को बताना चाहिए और अपने और समाज में कैसे अपने आपको इस्तापित कर सकते हैं। ..


ये मेरा पहला ब्लॉग है, अगर कुछ अच्छा लगे प्लीज आप लोग कमैंट्स करे... और कुछ सुझाव भी दे,...
आशा है आप सबका प्यार मिलेगा।