Monday, January 6, 2020

Tik Tok Wala India

टिक टॉक वाला इंडिया 

आज का इंडिया बहुत ही तेजी से टिक टॉक की और अग्रसर हो रहा हैं। जैसे जो टिक टोक पे नहीं हो वो इस दुनिया का है ही नहीं। अपने आप को  वो बहुत ही ज्यादा बुदिमान और तेज समझता है.. देश का युवा अपनी देसी संस्कृति को भूल के अपने लिए एक नहीं दिशा की और अगसर हो रहा हैं। जो की अपने आप और इस देश को एक अलग ही मार्ग की और ले जा रहा हैं। युवा कहने को एक ऐसा शब्द जो किसी भी देश की आने वाली तररकी और उस देश को किस दिशा में जाना ये सब तय करता हैंऔर हमारे देश का युवा आज अपनी संस्कृति और अपने देश के इतिहास को भूल कर टिक टॉक को और बड़ी तेजी से अगसर हो रह है।।
मानो टिक टॉक से ही आने वाला कल की पहचान होगी। 


टिक टॉक के प्रभाव : टिक टॉक एक ऐसी लत है जिसके लगने का करना आप सुब कुछ भूल के दिन रात बस टिक टॉक में ही लगे रहते है। जह भी जाते है बस टिक टॉक बनने में लग जाते है क्योकि आपको टिक टोक में फेमस जो होना अगर टिक टॉक में फेमस नहीं हुए तो कोई आपनो जानेगा भी नहीं।।।  दिन रात रोड में रेल लाइन पे पार्क में घर में भर सुब जगह टिक टॉक ही टिक टोक लगा हुआ आजकल असला में ये कोई नहीं जानत की ये सुब हमारे देश में एक पोरजेक्ट प्रोपगंडा के तहत होता है।


देश की विरासत को भूलता युवा : जिसे देखो वो अपने देश की विरासत को भूलने में लगा हैं। आज कल के युवा सुबह उठ के पूजा पाट की जगह  अपना टिक टॉक वीडियो और व्हाट्सअप पे स्टॅट्स लगन ज्यादा पसंद करते हैं। जो की हम और हमरे देश की युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही बुरा है ऐसी बिलकुल भी है होना चाहिए इस देश में लेकिन माता पिता अपने परिवार पे ज्यादा ध्यान न देना और बच्चो को संस्कार न देना  ये दोनों चीज ज्यादा घातक है हमरे देश और देश की संस्कृति के लिए।

युवाओं को सन्देश : देश को युवा को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए।  उनको अधिक से अधिक प्यार देना चाहिए क्योकि माँ बाप दोनों हम बच्चो को  इतना प्यार और अच्छे से अच्छा खाने को उपलब्ध करवाते हैं। उन दोनों की जगह इस दुनिया में कोई भी नहीं ले सकता हैं।  वेद में भी माँ बाप को उच्च दर्जा दिया है..

श्लोक-
पद्मपुराण सृष्टिखंड (47/11) में कहा गया है-

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।


अर्थात: माता सर्वतीर्थ मयी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं इसलिए सभी प्रकार से यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए। जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।

अंतत: हम और हमारे देश को युवाओ को टिक टॉक और इन जैसे और एप्लीकेशन का त्याग कर भारत और उसके संस्कृति के अनुरूप चलना किये क्योकि हमारे देश और हमारी पहचान हमारे देश की संस्कृति है जो प्रत्येक मानव को जीवन जीने के आधार और उसके मूल भूत कर्तव्ये से उसका परिचय करवाती हैं.

भारत की छवि उसके संस्कृति और विषमताओ के लिए जनि जाती है... लेकिन आने वाली पीढ़ी इसको लेकर बलुकल भी चिंतित नहीं की देश की किया विरासत है और हमने अपनी संस्कृति की चिंता करनी चाहिए जो दिन बा दिन विलुप्त हो रही है.


आज शायद किसी घर में बच्चो को वेद पुराण पड़ने के लिए बोला जाता हूँ इस प्रकार शायद किसी घर में रामायण गीता या कोई धारावाहिक कार्येकर्म देखा जाता हो., हम लोग खुद अपने बच्चो को संस्कार देना नहीं ही होता है और उम्मीद करते है की बड़े होकर हमारा ध्यान रखेंगे और हमारी सेवा करंगे। .. परन्तु हम ये भूल जाते है की जैसे हम बच्चो को संस्कार देंगे तब ही वो हमारा ध्यान देंगे। .. ये हमारा ही काम हैं की हैं की हम बच्चो को उनको मूल भूत सामाजिक कर्तव्ये को बताना चाहिए और अपने और समाज में कैसे अपने आपको इस्तापित कर सकते हैं। ..


ये मेरा पहला ब्लॉग है, अगर कुछ अच्छा लगे प्लीज आप लोग कमैंट्स करे... और कुछ सुझाव भी दे,...
आशा है आप सबका प्यार मिलेगा।

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